पुनर्विवाह - प्यार कि नई कहानी ( सीजन दूसरा ) 3
मां भी ना ज़िद पकड़ के बैठी है । मुझे वहां जाने का बिल्कुल मन नहीं है । लेकिन मां इस बार मेरी बात नहीं सुनेगी । स्वाति अपने कमरें लेटे हुए सोच रही थी ।
बच्चें सो गए ? स्वाति की मां उसके कमरें में आती हुई बोली ।
" बस अभी - अभी सोये है " स्वाति ने कहा !
तो क्या सोचा है ! स्वाति की मां ने पूछा ! " किस बारे में " स्वाति जानबूझकर पूछती है ।
स्वाति ये तुम भी जानती हो कि मैं किस बारे में पूछ रही हूं । स्वाति की मां ने कहा ! मां , मेरा वहां जाने का मन तो नहीं है । लेकिन आप और मौसी और मौसा जी के लिए मैं जाऊंगी । लेकिन मां पता नहीं इस बार वहां जाने के सोच से ही मेरे मन में कुछ हलचल हो रही है । ऐसा लग रहा है कि कुछ अजीब होने वाला है और ऊपर से मौसी और मौसा जी को क्या सूझी , सगाई और शादी साथ में कर रहे हैं वो तो ठीक है लेकिन इन सब में पांच दिन का समय कौन लगाता है ! पता नहीं मौसी और मौसा जी को क्या हो गया है । आजकल सभी लोगों के पास समय कहां हैं । स्वाति ने कहा !
सही कहा तुने , आजकल अपनों से मिलने का समय किसी के पास नहीं है । सब चलती - फिरती मशीन बन कर रह गए है । अगर किसी को अपनों से बात करनी हो या मिलना हो तो आजकल सब मोबाइल पर बात कर लेंगे या वीडीयो काॅल कर लेंगे । लेकिन एक - दूसरे से मिलने का वक्त किसी के पास नहीं है । इसीलिए हम बड़ों ने सोच-समझकर ये फैसला किया है , शादी और सगाई कि रस्में पूरे पांच दिनों तक होगीं । समझी !
मैं बहुत खुश हूं कि , तू भी साथ चलेगी । स्वाति की मां ने कहा !
आप तो खुश हो गई लेकिन मैं वहां गयी तो मौसी के ससुराल वालों को शायद अच्छा ना लगे । स्वाति मन में सोचने लगती है ।
अच्छा अब आप जाकर सो जाइये । मैं कल ही छुट्टी की बात करूंगी । ठीक है !
" ठीक है " स्वाति की मां ने कहा !
अगली सुबह प्रिंसिपल के कमरें में !
मैम , मुझे एक हफ्ते की छुट्टी चाहिए ये मेरी छुट्टी की एप्लिकेशन लेटर है ।
प्रिंसिपल मैम - आपको एक हफ्ते की छुट्टी क्यों चाहिए ।
स्वाति - अपने निजी कारण की वजह से छुट्टी चाहिए ।
प्रिंसिपल मैम - ठीक है स्वाति मैं तुम्हें छुट्टी दे रही हूं । लेकिन सिर्फ एक हफ्ते के लिए ठीक है !
धन्यवाद मैम ...स्वाति ने कहा और प्रिंसिपल रूम से बाहर आ गई ।
एक हफ्ते बाद ...
समर्पण ... जल्दी चलो बेटा , देर हो जायेगी स्टेशन पहुंचने में । " आया मम्मी " समर्पण ने कहा ! स्वाति अपने दोनों बच्चों और अपनी मां के साथ रेल की रिजर्व सीट पर बैठ गई ।
स्वाति जा तो रही थी लेकिन उसके दिल में एक अजीब सी घबराहट हो रही थी । स्वाति बेटा तू ठीक तो है ? स्वाति की मां ने पूछा !
हां मां , मैं ठीक हूं । स्वाति ने कहा ! " ठीक हो तो घबराई हुई सी क्यूं दिख रही है । मां ने कहा ! इस पर स्वाति अपने में गुम खिड़की की तरफ देखने लगती है ।
दिन भर सफर करने के बाद रात को रेल अपनी जगह पर रूकी । स्वाति , बच्चें और स्वाति की मां को लेने । स्टेशन पर प्रभा मौसी अपने पति और बेटे के साथ उन्हें लेने आई थी ।
स्वाति की मौसी अपनी बहन के पास आकर उसके गले लग जाती है ।
कैसी है ममता ? प्रभा जी ने पूछा !
ठीक हूं दीदी , तुम कैसी हो और बाकि सब कैसे हैं ? ममता जी ने पूछा !
मैं भी ठीक हूं और घर पर भी सब ठीक है ।
स्वाति बेटा तू कैसी है और मेरे गोलू-मोलू तुम दोनों तो बड़े हो गए हो । बहुत अच्छा किया जो तू आई अगर तू नहीं आती तो कभी मैं तुझसे बात नहीं करती । मेरी तो छोड़ो तेरा भाई भी तुझसे नाराज़ हो जाता । क्यूं रवि ?
हां मां , मैं दी से नाराज़ हो जाता और बात ही नहीं करता । रवि ने कहा !
" कैसे नहीं आती मैं , मेरे इकलौते भाई की जो शादी हैं । " स्वाति ने रवि के गाल खिंचते हुए कहा !
" अब घर चलें कि सारी बातें यहीं करनी है । " स्वाति के मौसाजी ने कहा !
हां - हां चल ही रहे हैं । चल छोटी तुझे कुछ बताना है और बहुत सारी बातें भी करनी है । स्वाति की मौसी ने कहा ! सभी रवि की कार में बैठ कर घर की ओर निकल गये ।
कुछ ही देर में सभी घर पहुंच गए । " आप सब बैठिए मैं पानी लेकर आती हूं ।" प्रभा जी ने कहा !
स्वाति और ममता जी वहीं पास के सोफे पर बैठ गए और बच्चे खेलने में मस्त हो गए । प्रभा जी पानी देते हुए - ममता तुम्हें तो पता है कि , कल लड़की वाले यहां आने वाले हैं । हमने शादी के लिए एक बहुत ही अच्छी जगह पसंद कि है । वहां सभी प्रकार की सुविधा है और बच्चों के खेलने से लेकर रिसेप्शन के लिए भी बहुत बड़ा गार्डन है । स्वाति तुम्हें पता है , रवि के ससुराल वाले एकदम सिंपल तरह के लोग है बिल्कुल हमारे जैसे । उन्होंने हमारी बात मानकर पांच दिनों के कार्यक्रम के लिए हां कर दी और यहां आने के लिए राजी भी हो गए । अब रवि और सपना की शादी यहीं होगी ।
स्वाति - ये तो अच्छी बात है मौसी की रवि के ससुराल वाले यहां आकर शादी के लिए मान गए ।
तभी प्रभा की सास अपने कमरे से निकल कर हाॅल में आती हुई - अरे ममता तुम कब आई !
ममता - प्रणाम मां , कैसी है आप ?
प्रभा की सास - कैसी रहूंगी बेटा , ये घुटनों का दर्द बढ़ गया है । अब ज्यादा चला नहीं जाता ।
" प्रणाम दादी जी " स्वाति ने कहा !
प्रभा की सास - खुश रहो ! तुम अकेली आई हो या अपने बच्चों को भी साथ लाई हो ?
स्वाति - बच्चों को भी साथ लाई हूं ।
प्रभा जी , अपनी सास की बात बीच में ही काटते हुए ..
प्रभा जी - स्वाति बेटा जाओ तुम प्रिया के कमरें में आराम कर लो । मैं तुम्हें खाना तैयार होते ही बुला लूंगी ।
स्वाति - जी मौसी जी ।
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क्रमशः
Shivani Sharma
24-Apr-2022 10:51 PM
Very good story
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क्रिया क्रिया
21-Apr-2022 01:57 PM
बहुत खूब
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Rohan Nanda
20-Apr-2022 12:32 PM
बहुत बढ़िया
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